हरियाणा का प्राचीन इतिहास

▪हरियाणा का प्रादेशिक नाम था -- ब्रहमव्रत
▪छठी शताब्दी के आसपास कुरुक्षेत्र का उल्लेख श्री कंठ जनपद के रूप में मिलता है -- बाणभट्ट कृत हर्ष चरित्र में
▪किनका बौद्ध धर्म ग्रंथ दिव्यावदान में उल्लेख है -- रोहतक अग्रोहा
▪हरियाणा किस नदी के किनारे अवस्थित था -- सरस्वती
▪हरियाणा का प्राचीन स्थल किस जिले में है -- भिवानी
▪किस ग्रंथ में हरियाणा को मिताथल बहुधान्यक रखा गया है -- महाभारत
▪किस ग्रंथ में हरियाणा के बारे में उल्लेख मिलता है -- भद्रवाह्चरित्र एवं कथाकोश
▪हरियाणा में किस स्थान से कुषाण कालीन सोने व चांदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं -- मिताथल
▪हरियाणा में कुषाण कालीन मूर्तियों का मुख्य केंद्र कहां है -- रोहतक
▪किस पुराण की कथा के अनुसार राजा कुरू ने द्वेतवन में हल चलाकर कुरुक्षेत्र को आबाद किया -- वामनपुराण
▪कुरु के बाद किस सोलहवे शासक ने धीवर कन्या से विवाह किया -- शांतनु
▪हरियाणा के महेंद्रगढ़ क्षेत्र में कौन सा गुण विद्यमान था -- अर्जुनायन
▪अर्जुनायन गणराज्य ने किसके साथ मिलकर कुषाणो को पराजित किया -- योधेय
▪कहां से प्राप्त सिक्कों से पता चलता है कि प्राचीन काल में हिसार क्षेत्र में गणराज्य था -- बरवाला व हिसार
▪हरियाणा के किस राज्य का उल्लेख महाभारत के द्रोण पर्व में मिलता है - योदेय गणराज्य से
▪हरियाणा के सैंदेव स्थल से एक मुद्रा प्राप्त हुई हैं जिस पर विचित्र पशु अंकित है जिसका धड सिंह की तरह और सींग बैल की तरह उक्त स्थल कौन सा है -- बनवाली
▪सैंदेवस्थल भगवानपुर हरियाणा के किस जिले में है -- कुरुक्षेत्र
▪भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश हरियाणा के किस स्थान पर दिया -- कुरुक्षेत्र के ज्योतिसर सरोवर पर
▪प्रदेश में कौन सा स्थान अग्रेयगण की राजधानी था -- अग्रोहा
▪प्रसिद्ध चीनी यात्री हेनसांग ने अपनी पुस्तक में हरियाणा के किस नगर वैभव व समृद्धि का वर्णन किया है -- थानेसर

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